या नबी सलाम अलैका, या रसूल सलाम अलैका
या हबीब सलाम अलैका, सलवातुल्लाह अलैका
भेज दो अपनी अताएं, बख्श दो सबकी ख़ताएँ
दूर हो ग़म की घटाएँ, वज्द में हम यूँ सुनाएँ
या नबी सलाम अलैका…
जब नबी पैदा हुए थे, सब मलक दर पर खड़े थे
रब्बे सल्लिम पढ़ रहे थे, बाअदब यूँ कह रहे थे
या नबी सलाम अलैका…
आपका तशरीफ़ लाना, वक़्त भी कितना सुहाना
जगमगा उठा ज़माना, हूरें गाती थी तराना
या नबी सलाम अलैका…
रहमतों के ताजवाले, दो जहां के राजवाले
अर्श के मेहराजवाले, आसियों की लाजवाले
या नबी सलाम अलैका…
पूरी या रब ये दुआ कर, हम दर-ए-मौला पे जाकर
पहले कुछ नातें सुनाकर, ये पढ़ें सर को झुकाकर
या नबी सलाम अलैका…
बख़्श दो जो चीज़ चाहो, क्यूँ के महबूबे ख़ुदा हो
आप तो बाबे सखा हो, हाँ मुझे भी कुछ अता हो
या नबी सलाम अलैका…
जान कर काफी सहारा, ले लिया है दर तुम्हारा
ख़ल्क़ के वारिस ख़ुदारा , लो सलाम अब तो हमारा
या नबी सलाम अलैका…
ऐ मेरे मौला के प्यारे, नूर की आँखों के तारे
अब किसे सैयद पुकारें, हम तुम्हारे तुम हमारे
या नबी सलाम अलैका…
वास्ता ग़ौसुल वरा का, वास्ता ख़्वाजा पिया का,
वास्ता कुल औलिया का, ग़म न हो रोज़े जज़ा का
या नबी सलाम अलैका…
सुबह लूँगा शाम लूँगा, तेरा प्यारा नाम लूँगा
क़ब्र से उठते ही आक़ा, तेरा दामन थाम लूँगा
या नबी सलाम अलैका…